सोमवार, 28 सितंबर 2015

शासन की बन्दूक / नागार्जुन

 खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक
नभ में विपुल विराट-सी शासन की बन्दूक

उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें है थूक
जिसमें कानी हो गई शासन की बन्दूक

बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक
धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बन्दूक

सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक
जहाँ-तहाँ दगने लगी शासन की बन्दूक

जली ठूँठ पर बैठकर गई कोकिला कूक
बाल न बाँका कर सकी शासन की बन्दूक 

 

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